किस रँग की मसि करूँ,
किस रँग से कहूँ कविता,
किस रँग में मैं हँसूं हँसी,
किस रँग में ख़ुशी मना लूँ,
किस रँग में समा जाऊँ मैं,
किस रँग में तुझे भिगो दूँ,
किस रँग का है तुझको यकीं,
किस रँग का विश्वास दिला दूँ,
किस रँग में ख़ुद को डुबा दूँ,
किस रँग में आनंद बसा दूँ,
किस रँग को धुएँ में उड़ा दूँ,
किस रँग में खो जाऊँ सदा।
- अनामिका
किस रँग से कहूँ कविता,
किस रँग में मैं हँसूं हँसी,
किस रँग में ख़ुशी मना लूँ,
किस रँग में समा जाऊँ मैं,
किस रँग में तुझे भिगो दूँ,
किस रँग का है तुझको यकीं,
किस रँग का विश्वास दिला दूँ,
किस रँग में ख़ुद को डुबा दूँ,
किस रँग में आनंद बसा दूँ,
किस रँग को धुएँ में उड़ा दूँ,
किस रँग में खो जाऊँ सदा।
- अनामिका